By Vishnu Mahesh Sharma
(Translation within the feedback under)
दीपावली की सफाई का एक फायदा यह है की सफाई सिर्फ कमरों के खिड़की-दीवारों की नहीं होती। सफाई यादों के दरवाजों-दराजों की भी होती है। कभी किसी दराज से अचानक एक तस्वीर निकल आती है और पूरा परिवार कुछ देर सफाई कार्यक्रम रोक कर यादों के उस सफ़र पर निकल पड़ता है जिसकी सड़क उस तस्वीर से होकर गुजरती है।
इस बार मैं भी यादों के एक ऐसे ही सफर पर निकला। फ़र्क सिर्फ इतना था कि इस सफर की सड़कें तस्वीरों से नहीं किताबों से बनी थी।
ड्राइंग रूम में अपने बुक-शेल्फ की सफाई करते-करते जब किताबों से धूल हटाई तो जाना की धूल की यह परतें यादों से भी हटी हैं। किताबों की मैली खुशबू ने अतीत के कुछ भूले-बिसरे, खट्टे-मीठे पलों के तार छेड़ दिए हैं। तार- जिनका संगीत में लफ्जों में उतारने की कोशिश कर रहा हूं।
एक किताब सुरेंद्र मोहन पाठक जी की हाथ लगी। तार छिड़ा हिंदी पल्प के इस महान लेखक के इस उपन्यास के क्लाइमेक्स का। दरअसल क्लाइमैक्स मुझे याद नहीं क्या था, पर याद है कि उस दिन गांव में बिजली गई हुई थी, जनवरी की सर्द भरी रात थी और रजाई में दुबके हुए, गैस लैंप की रोशनी में मैंने वह क्लाइमैक्स पढ़ा था। जब उन पन्नों को छुआ तो रजाई की नरमी महसूस हुई। दिल ने अचानक कहा कि किताब भी तो अक्षरों की रूई से धुनी-बुनी रजाई ही तो है। नरमी का एहसास लाज़मी है।
“टिंकर टेलर सोल्जर स्पाई” हाथ लग गई। पहली बार पढ़ी, या यूं कहे कि पढ़ने की कोशिश की, जब मेरी उम्र 14 की थी। उस वक्त तक ना तो अंग्रेजी अच्छी थी और ना ही अंग्रेजी क्लासिकस से इतना राब्ता था। बस कहीं सुना था कि इसे जासूसी दुनिया के ‘शेक्सपियर’ कहे जाने वाले इंसान ने लिखी है और अपने जॉनरा की यह महानतम कृति है।
अपनी बेवकूफ पर हंसी आ गई। पढ़ने के नए-नए शौक के साथ-साथ उस वक्त दिखावा करने का एक गुरु़र भी चढ़ा था। यकीन कर पाएंगे, आखिरकार वह किताब मैंने 15 साल बाद पढ़ी; वह भी दो बार, तब जाकर उस किताब का कुछ निचोड़ जान पाया। यहां यह कहना मैं जरूरी समझता हूं कि “John le Carré” की मेरी पसंदीदा किताब “The Spy Who Got here In From The Chilly” है।
जैसा कि मैं पहले ही कहा कि जो तार छिडे़ उन में कुछ लम्हें मीठे तो कुछ खट्टी यादों के भी हैं। मसलन किताब और भारतीय गृहणी के बेलन का सौतेला और नफरत भरा रिश्ता।
Agatha Christie की किताब “Three Act Tragedy” पढ़ते वक्त मम्मी खाने के लिए बुला रही थी। इस बार भी सर्दी की शाम थी, मैं रजाई में दुबका हुआ था, थाली में गरम खाना परसों हुआ था, लेकिन कहानी का सस्पेंस खुलने का भी यही वक्त था। चुनाव था गरम खाने और कोल्ड-सस्पेंस के बीच। जब एक बेलन किसी भाले की तरह मेरे पैर के पास आकर गिरा तब मुझे एहसास हुआ कि मेरे अवचेतन मन ने दोनों में से किसे चुना है। तो दोस्तों, अक्षरों की लकड़ी से बेलन भी गढ़े जाते हैं।
बात मम्मी के बेलन की आई तो याद ने एक और सड़क पर धकेल दिया। मम्मी की एक सहेली की लड़की। जो शायद पहली शख्स थी जिससे किताबों और लेखकों के विषय में मेरा वाद विवाद हुआ। Jeffrey Archer की brief tales पढ़कर मेरे मन में यह विचार आया करता था कि अंग्रेजी के तमाम जीवित लेखकों (लेखक जिन्हें मैंने तब तक पढ़ा था) में यह इंसान सर्वोत्तम पेज टर्नर्स लिखता है। Kane and Abel पढ़ने के बाद इस विचार ने लगभग-लगभग सिद्धांत का रूप ले लिया था।
लेकिन मेरी इस सहेली को लेखक के विवादित राजनीतिक चरित्र से इतनी परेशानी थी कि सिर्फ उनका नाम सुनकर ही उनकी तमाम साहित्यिक उपलब्धियां को एक कलंक की नजर से देखने लगती थी । उस दिन “आर्ट वर्सेस आर्टिस्ट” की कभी खत्म न होने वाली बहस में मेरा पदार्पण हुआ। ताज्जुब मत करिएगा अगर मैं कहूं कि इन्हीं मोहतरमा के साथ ऐसी ही एक हालिया बहस “एनिमल” मूवी को लेकर हुई। कहने की जरूरत नहीं है कि मेरा दिमाग किस पक्ष का समर्थन करने के लिए अपने तर्कों के साथ “रेड्डी” था।
रेडी अब मेरा बेटा भी है। इसी दीपावली की सफाई में मुझे “सुपर कमांडो ध्रुव कॉमिक” का एक अंक मिला। मैंने वह मेरे बेटे को दिया है। उसने बड़े उत्साह के साथ उसे पढ़ना शुरू किया है। खुशी हुई यह जानकर कि विरासत में और कुछ दे पाऊं या नहीं, अक्षरों की महफिल जरूर दे जाऊंगा।
फिर, शायद, वह भी किसी दीपावली की सफाई में अपनी यादों के झरोखे झाड़ेगा और तब जब उसके हाथ “सुपर कमांडो ध्रुव” का यह अंक लगेगा, तो अक्षरों का सफर उसे इस ठिकाने ले आएगा जहां आप और मैं मुखातिब हो रहे हैं ।
इन अक्षरों और इनकी मैली खुशबुओं की यही तो खासियत है। महक सिर्फ महक तक मदूद नहीं है, ये हंसी के किस्से याद दिलाती हैं, महबूब की चिट्ठी याद दिलाती हैं, पहली अधूरी किताब याद दिलाती हैं, लिखने की पहली कोशिश याद दिलाती हैं, और याद दिलाती हैं ये वादा की एक बार फिर साल में सौ किताब पढ़ने के वादे से हमने मुंह फेर डाला।
इन्हीं चुलबुली, मैली-कुचली, घनी काली पर सुनहरी, आधी-अधूरी यादों और खुशबुओं से लिपटी हैं आप सभी के लिए मेरी तरफ से दीपावली की शुभकामनाएं…
